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रायपुर,ट्रैफिक विभाग मस्त,जनता त्रस्त,राजधानी,नो एंट्री में प्रतिबंधित गाड़ियों पर मेहरबान, पंडरी ट्रैफिक के बावजूद विधानसभा से मोवा के रास्ते शहर में घुस रहे भारी वाहन लगा रहे जाम,

ByDp Ratre

Sep 30, 2023
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रायपुर,ट्रैफिक विभाग मस्त,जनता त्रस्त,राजधानी,नो एंट्री में प्रतिबंधित गाड़ियों पर मेहरबान, पंडरी ट्रैफिक के बावजूद विधानसभा से मोवा के रास्ते शहर में घुस रहे भारी वाहन लगा रहे जाम,

रायपुर,राजधानी शहर के अंदर वाहनों की भीड़ को कम करने और जाम की स्थिति से निपटने बचने के लिए शहर के अंदर भारी वाहनों के लिए नो इंट्री का प्रावधान रखा गया है जिससे आवागमन सुचारु रूप से हो सके इसके बावजूद शहर को जाम से निजात नहीं मिल पा रही है।जिसकी जाँच पड़ताल की गई, जाँच में ये बात निकल कर सामने आई कि शहर में जाम की समस्या के जिम्मेदार खुद ट्रैफिक विभाग है, इसकी एक मुख्य वजह है कि नो एंट्री के बाद भी दिन में भारी वाहन शहर में घुस रहे हैं। इस वजह से शहर में आये दिन जाम लग रहा है। लोगो के जान का खतरा निरंतर बना रहता है
भीड़ भरे हिस्सों में नो-एंट्री के बावजूद भारी वाहनों के प्रवेश होने के कारण हादसों का अंदेशा भी बना रहता है।
जिसे लेकर पंडरी ट्रैफिक थाना प्रभारी एम पी तिवारी जी से बात किया गया तो चौकाने वाली बात सामने आई उनका साफ साफ कहना है कि हम इसमे कुछ नही कह सकते हमको इसकी जानकारी नही है सबका बीट बटा हुआ है मैं इसका जिम्मेदार नही हुँ,❓इस बात से आप लोग अंदाजा लगा सकतें है जिसको राजधानी की ट्रैफिक की जिम्मेदारी दी गई है उनका ये बयान गैर जिम्मेदराना है, आखिर किसके इशारे पर नो एंट्री में प्रतिबंधित गाड़ियों का प्रवेश होता है ये एक बहुत बड़ा सवाल है❓

आप को बतादें विधानसभा से शंकर नगर मोवा सड्डू,लोधीपारा, पंडरी मे सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक भारी व माल ढुलाई वाहनों पर पूरी तरह से प्रवेश निषेध किया गया है। फिर भी भारी वाहनों के गुजरने का सिलसिला बदस्तूर दिनभर चलता रहता है।आखिर कौन है इसका जिम्मेदार
इस वजह से मोवा /सड्डू /दलदल सिवनी/लोधीपारा चौक पंडरी पर भी वाहनों का काफी जाम लगाता है। विधानसभा के रास्ते शहर में भारी वाहन ट्रक बेधड़क घुस आते हैं। इनमें अधिकतर निर्माण सामग्री के डंपर भी शामिल हैं। ट्रैफिक विभाग के कुछ जिम्मेदार अफसर / कर्मचारी द्वारा गाड़ी मालिकों से मिली भगत कर इन गाड़ियों को चंद कुछ रूपये लेकर शहर मे घुसने दे दिया जाता है जिसका भुगतान आम जनता को भोगना पड़ता है राजधानी का ये आलम है तो बाकि जगहों का क्या आलम होगा आप समझ सकतें होंगे।


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