6 महीने में ही बिखर गई करोड़ों की सड़क! लैलूंगा-बाकारूमा मार्ग बना गड्ढों का जाल, जनजीवन अस्त-व्यस्त

6 महीने में ही बिखर गई करोड़ों की सड़क! लैलूंगा-बाकारूमा मार्ग बना गड्ढों का जाल, जनजीवन अस्त-व्यस्त


लैलूंगा/रायगढ़ जिले के लैलूंगा से बाकारूमा को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग इन दिनों अपनी जर्जर स्थिति को लेकर सुर्खियों में है। करोड़ों रुपये की लागत से बनीं मात्र छह माह पूर्व बनी इस सड़क की हालत ऐसी हो चुकी है कि मानो यह वर्षों पुरानी हो। सड़क पर बने गहरे और खतरनाक गड्ढों के कारण न केवल आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है, बल्कि जान जोखिम में डालकर ग्रामीणों को सफर करना पड़ रहा है।
लैलूंगा क्षेत्र के बाकारूमा, राजपुर, खम्हार जैसे दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली यह सड़क किसी समय में विकास की प्रतीक मानी जा रही थी। परंतु अब यह भ्रष्ट निर्माण कार्यों और सरकारी लापरवाही का एक जीता-जागता उदाहरण बन गई है।
🚧 गड्ढे नहीं, हादसे का आमंत्रण!
सड़क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि वाहन चालकों को हर 5 मीटर पर ब्रेक लगाना पड़ रहा है। कई जगह तो गड्ढे इतने बड़े और गहरे हैं कि दोपहिया वाहन उसमें पलट जा रहे हैं। बरसात में यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है जब गड्ढे पानी से भर जाते हैं और यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि कहाँ सड़क है और कहाँ गड्ढा।
ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क का निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। घटिया सामग्री का उपयोग और निर्माण के समय मानकों की अनदेखी ही इस बर्बादी का मुख्य कारण है। कई स्थानों पर तो सड़क की परतें उखड़ चुकी हैं और नीचे की मिट्टी दिखाई दे रही है।
🛑 रुक गया जनजीवन, स्कूल-हॉस्पिटल पहुँचना हुआ मुश्किल
इस मार्ग से होकर रोज़ाना स्कूली बच्चों, मरीजों और व्यापारियों की आवाजाही होती है। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि एंबुलेंस भी इन रास्तों पर चलने से कतरा रही है। एक गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल नहीं पहुँचाया जा सका, जिससे स्थिति गंभीर हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार जिला प्रशासन को आवेदन दिए जा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
💬 ग्रामीणों का फूटा गुस्सा – करेंगे सड़क पर धरना!
स्थानीय निवासी ने कहा, “छह महीने में ही सड़क का ऐसा हाल देखकर लगता है जैसे करोड़ों रुपयों का सीधा बंदरबांट किया गया हो। अगर प्रशासन और ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम सब गांव वाले सड़कों पर उतरेंगे और चक्का जाम करेंगे।”
एक अन्य ग्रामीण महिला कहती हैं, “हमारे गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे हॉस्पिटल तक ले जाना अब पहाड़ चढ़ने जैसा है। सरकार को शर्म आनी चाहिए।”
🏗️ ठेकेदार-इंजीनियर की मिलीभगत?
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। निर्माण कार्य की निगरानी करने वाले विभागीय अभियंताओं ने आँख मूँदकर भुगतान कर दिया और ठेकेदार ने घटिया सामग्रियों से काम कर सड़क को सिर्फ दिखावे का बना दिया। निर्माण के दौरान डामर की परतें बेहद पतली थीं और रोलर से समतलीकरण भी ठीक से नहीं हुआ।
🔍 प्रशासन मौन, जनप्रतिनिधि नदारद
हैरानी की बात ये है कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। न तो विधायक ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी और न ही लोकनिर्माण विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई की गई है। जनता को सिर्फ आश्वासन मिलता है और काम के नाम पर “फाइल चल रही है” का बहाना।
📢 जनता की माँग – हो जांच, हो सजा
ग्रामीणों ने प्रशासन से माँग की है कि इस सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और दोषी ठेकेदार, इंजीनियर और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही सड़क की तत्काल मरम्मत करवाई जाए ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
लैलूंगा-बाकारूमा मार्ग की यह स्थिति प्रदेश के विकास कार्यों की पोल खोलती है। करोड़ों खर्च होने के बावजूद अगर सड़क छह माह भी न टिके, तो यह सीधा-सीधा लूट और लापरवाही का मामला है। अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो जनता को आंदोलन की राह अपनानी ही पड़ेगी।
