October 17, 2025

प्रधान मंत्री आवास योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: हितग्राही के नाम स्वीकृत आवास में चल रहा प्राइवेट कॉलेज और कोचिंग सेंटर

प्रधान मंत्री आवास योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: हितग्राही के नाम स्वीकृत आवास में चल रहा प्राइवेट कॉलेज और कोचिंग सेंटर

प्रधानमंत्री आवास जिसमें संचालित हो रहा है कॉलेज



रोजगार सहायक एवं आवास मित्र की भूमिका संदिग्ध

कुंजारा (लैलूंगा), 5 अगस्त 2025
ग्राम पंचायत कुंजारा में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना “प्रधान मंत्री आवास योजना (ग्रामीण)” के तहत हो रहे निर्माण कार्यों में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। शासन के निर्देशानुसार आयोजित विशेष ग्राम सभा में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जिसने योजना के क्रियान्वयन पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

योजना के तहत असल उद्देश्य गरीब, बेघर और ज़रूरतमंद परिवारों को पक्का मकान मुहैया कराना था, लेकिन हकीकत में अपात्र, साधन-संपन्न और पहले से दो-मंजिला मकानों में रह रहे लोगों को योजना का लाभ दिया गया है।

ग्राम सभा में खुला घोटाले का पर्दाफाश

5 अगस्त को आयोजित विशेष ग्राम सभा में सरपंच श्रीमती सुषमा भगत, पंचगण, ग्रामीण, रोजगार सहायक, आवास मित्र तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के अधिकारी उपस्थित थे। सभा में वित्तीय साक्षरता पर जानकारी के साथ ही जब प्रधानमंत्री आवास योजना की समीक्षा की गई, तो सामने आया कि:

वास्तविक गरीब लाभार्थियों को योजना से वंचित कर दिया गया,

वहीं कई ऐसे लोग जिनके पास पहले से पक्के मकान हैं, उन्हें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर योजना में शामिल कर लाभ दिया गया।

गलत बैंक खातों को लिंक कर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया।


शौकी लाल बंजारा के नाम स्वीकृत आवास बना कोचिंग सेंटर

सबसे गंभीर मामला शौकी लाल बंजारा पिता नंदलाल बंजारा, जाति नायक, ग्राम कुंजारा का सामने आया। ग्राम सभा में पूछताछ के दौरान शौकी लाल ने स्वयं बताया कि उनके नाम से उद्यान मार्ग कुंजारा में 6 कमरों एवं एक शौचालय का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कराया गया, परंतु इस भवन में एक प्राइवेट कॉलेज एवं कोचिंग सेंटर संचालित किया जा रहा है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि योजना के प्रावधानों का घोर उल्लंघन कर आवास का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया गया, जिससे सरकारी योजना को अपात्रों ने कमाई का जरिया बना लिया।

रोजगार सहायक एवं आवास मित्र की भूमिका संदेह के घेरे में

इस पूरे फर्जीवाड़े में ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक एवं आवास मित्र की भूमिका अत्यंत संदिग्ध मानी जा रही है।
योजना के तहत आवेदनों की जांच, जियो टैगिंग, दस्तावेज सत्यापन, लाभार्थियों की पात्रता की पुष्टि और बैंक खाते की वैधता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी इन्हीं दो पदों पर तैनात कर्मियों की होती है। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हो जाना यह दर्शाता है कि या तो उन्होंने जानबूझकर अपनी जिम्मेदारियों की अनदेखी की, या वे इस घोटाले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हैं।

ग्राम पंचायत के कई पंचों और ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बिना रिश्वत दिए किसी पात्र व्यक्ति को आवास स्वीकृति नहीं दी जा रही थी। फर्जी लाभार्थियों के नाम शामिल करने में इन कर्मचारियों की मिलीभगत होने की आशंका भी ग्रामीणों ने व्यक्त की है।

अन्य गड़बड़ियाँ भी आई सामने

कई ऐसे पात्र हितग्राही हैं जिनके नाम पर योजना स्वीकृत हुई, लेकिन उनके बैंक खातों की जगह किसी अन्य व्यक्ति के खातों को जोड़कर पैसे निकाल लिए गए।

कई आवासों का निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है, परंतु सरकारी पोर्टल पर कार्य पूर्ण दिखाकर राशि की आहरण रिपोर्ट बनाई गई है।

जियो टैगिंग में फर्जी फोटो और लोकेशन डाली गई है ताकि जांच में भ्रम पैदा किया जा सके।


ग्रामीणों में गुस्सा, निष्पक्ष जांच की मांग

इस फर्जीवाड़े को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्राम सभा में उपस्थित ग्रामीणों ने यह मांग की कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि योजना के लाभ को इस प्रकार अपात्रों को दिया जाता रहा, तो भविष्य में कोई गरीब पात्र व्यक्ति इस योजना में विश्वास नहीं करेगा।

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

सवाल उठ रहे हैं कि ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जनपद पंचायत और जिला स्तर तक की निगरानी एजेंसियाँ क्या कर रही थीं? क्या उन्होंने कभी मौके पर जाकर सत्यापन किया? यदि किया, तो इतनी बड़ी अनियमितता कैसे रह गई?
इन प्रश्नों का जवाब देना अब शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।

क्या कहता है योजना का नियम?

प्रधान मंत्री आवास योजना ग्रामीण (PMAY-G) के अनुसार:

हितग्राही को आवासहीन होना चाहिए या कच्चे/अधकच्चे मकान में रहना चाहिए।

स्वीकृत राशि का उपयोग केवल आवासीय निर्माण के लिए हो सकता है।

आवास का उपयोग किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए नहीं किया जा सकता।

निर्माण कार्य के प्रत्येक चरण की फोटो सहित जियो टैगिंग अनिवार्य है।


लेकिन उपरोक्त प्रकरणों में इन सभी नियमों को दरकिनार कर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया है।




निष्कर्ष

प्रधान मंत्री आवास योजना की इस तरह की गड़बड़ियों से न केवल सरकार की छवि खराब होती है, बल्कि गरीबों का हक भी मारा जाता है। ग्राम पंचायत कुंजारा में उजागर हुआ यह मामला केवल एक बानगी है, इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि समय रहते जांच नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी कर देगा।

जरूरत है कि शासन तत्काल इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी रोजगार सहायक, आवास मित्र एवं अन्य संलिप्त व्यक्तियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करे ताकि भविष्य में कोई भी गरीब के हक पर डाका डालने की हिम्मत न कर सके।